Time Can't Change My Love For You :-)
Monday, August 16, 2010
ग़ज़ल
तुम और फरेब खाओ बयान-ए-रकीब से
तुम से तो कम गिला है जियादा नसीब से
- आगा हश्र
ग़ज़ल
मैं नजर से पी रहा हूं, ये समां बदल न जाए
न झुकाओ तुम निगाहें, कही रात ढल न जाए
- अनवर मिर्जापुरी
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