Friday, September 18, 2009
ऐ मेरे दिल बता इतना बेकरार क्यों होता है।
ऐ मेरे दिल बता इतना बेकरार क्यों होता है।
जो नहीं आयेगा उसका इंतज़ार क्यों होता है।
जिसने यूँ ही तड़पने के लिए छोड़ दिया मुझे
ऐसे दिलवर पर तुझको ऐतबार क्यों होता है।
वफ़ा शब्द का जिनको मायने तक पता नहीं
जाने वफादारों में उनका शुमार क्यों होता है।
मैंने तो दिलो जान से उनसे वफ़ा निभाई थी
मुझ सा वफादार फ़िर नागवार क्यों होता है।
प्रेम जी के ब्लॉग से साभार !
Thursday, September 10, 2009
देने के बाद क्या मिलता है इस संसार में
देने के बाद क्या मिलता है इस संसार में
हम तो लुट ही चुके हैं इस आसार में !
होश आया भी तो कब आया , जब
मेरा सब कुछ बिक गया बाज़ार में !
छीना (छीनना पड़ा) जब हमने हक़ अपना,दुसरो का भी
बज उठी तालियाँ और नारे लगे जय-जयकार में !
आगे , बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे थे हम , और
दुनिया भी भूल रही थी सब कुछ उसी रफ्तार में !
यूँ ही आगे , आगे ही बढे चले जा रहे थे हम
कि, रुक गए ,रोक लिया ! किसी की दर्द भरी पुकार ने !
और जब फिर से एहसास करने लगे दुसरों का दर्द
तो भटकने लगे बनके भिखारी उसी बाज़ार में !!
--------------------------------------------------"सर्वेश"
हम तो लुट ही चुके हैं इस आसार में !
होश आया भी तो कब आया , जब
मेरा सब कुछ बिक गया बाज़ार में !
छीना (छीनना पड़ा) जब हमने हक़ अपना,दुसरो का भी
बज उठी तालियाँ और नारे लगे जय-जयकार में !
आगे , बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे थे हम , और
दुनिया भी भूल रही थी सब कुछ उसी रफ्तार में !
यूँ ही आगे , आगे ही बढे चले जा रहे थे हम
कि, रुक गए ,रोक लिया ! किसी की दर्द भरी पुकार ने !
और जब फिर से एहसास करने लगे दुसरों का दर्द
तो भटकने लगे बनके भिखारी उसी बाज़ार में !!
--------------------------------------------------"सर्वेश"
Saturday, September 5, 2009
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