दोस्तों , आज पहली बार मैं हिम्मत जुटा कर अपनी लिखी हुई एक ग़ज़ल आप लोगों के सामने पेश करने की हिमाकत कर रहा हूँ.... इस उम्मीद के साथ की शायद आपको पसंद आये....
यूँ ही नहीं हमें आजमाया करो
पल-पल न यूँ हमें सताया करो
तेरे कहने से पहले दे दूँ मैं जान अपनी
पर यूँ रूठने का भय न दिखाया करो
है यकीं की तुम सा कोई नहीं यहाँ
पर बात-बात पर यूँ न इतराया करो
फ़िक्र करते हैं तुम्हारी बहुत हम
पर गैरों से बतिया के न जलाया करो
दीदार को तरसते रहती है ये आँखे हमारी
कभी छुप-छुपा के सपने में आ जाया करो
Posted By : Sarwesh
Thursday, August 27, 2009
Wednesday, August 26, 2009
वो सामने से गुजरते हैं मुझको देखते हुए ।
वो सामने से गुजरते हैं मुझको देखते हुए ।
नज़रों ही नज़रों में अपना दिल फेकते हुए।
मेरी समझ में तो कभी कुछ भी नहीं आया
जाने उन्हें क्या मिलता मुझको छेड़ते हुए।
बात करना चाहो तो बात ही नहीं करते वो
अब मुझे भी मज़ा आने लगा उन्हें हेरते हुए।
हिम्मत जुटा के एक दिन मैंने कह ही दिया
आओ हम तुम जिन्दगी गुजारते खेलते हुए।
नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता है वो बोल पड़े
पाने से बेहतर लगे पाने को पापड़ बेलते हुए।
Friday, August 21, 2009
प्यार
प्यार को कभी भी किया नहीं जा सकता। प्यार तो अपने आप हो जाता है। दिन और रात... धरती और आसमान, एक दूसरे के बिना सब अधूरे हैं। सन -सन करती हवाएं, सुन्दर नजारे, फूलों की खुशबू ... सभी में छिपा होता है प्यार... कुछ तो प्यार में हारकर भी जीत जाते हैं, तो कुछ जीतकर भी अपना प्यार हार जाते हैं। प्यार एक ऐसा नशा है जिसमें जो डूबता है वो ही पार होता है। प्यार पर किसी का वश नहीं होता.... अगर आप भी प्यार महसूस करना चाहते हैं तो डूबिये किसी के प्यार में ... दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है ढाई आखर का प्यार... जब आप भी किसी को चाहने लगते हैं तो उसके दूर होने पर भी आपको नजदीक होने का अहसास होने लगता है , हर चेहरे में आप उसका चेहरा ढूंढने की असफल कोशिश करते हैं, कोई पल ऐसा न गुजरता होगा जब उसका नाम आपके होठों पर न रहता हो ... यही तो होता है प्यार... सुन्दर, सुखद , निश्छल और पवित्र अहसास। पूरी दुनिया के सुख इस प्रेम में समाए हुए हैं। यह शब्द छोटा होते हुए भी सभी शब्दों में बड़ा महसूस होता है। केवल इतना सा अहसास मात्र ही आपको तरंगित कर देगा कि मैं उससे प्यार करता !
Thursday, August 20, 2009
सबका हिसाब रखता है !
लिख के सबका हिसाब रखता है
दिल में ग़म की किताब रखता है
कोई उसका बिगाड़ लेगा क्या
खुद को खानाखराब रखता है
आग आँखों में और मुट्ठी में
वो सदा इन्किलाब रखता है
जो है देखें जमाने की सीरत
खुद को वो कामयाब रखता है
उसकी नाजुक अदा के क्या कहने
मुटठी में माहताब रखता है
बाट खुशियों की जोहता है तू
दिल में क्यों फिर अजाब रखता है
आइने से न कर लड़ाई ,कि वो
कब किसी का हिजाब रखता है
उससे क्या गुफ़्तगू करोगे तुम
वो सभी का जवाब रखता है
श्याम’ चितचोर, है नचनिया है
कैसे-कैसे खिताब रखता है
Written By : श्याम सखा 'श्याम
जब से तुझसे आँख मेरी लड़ गई रे
जब से तुझसे आँख मेरी लड़ गई रे
बिना पिए जैसे मुझे चढ़ गई रे
छुप कर तुझको देखने लगा हूँ
आँखें अपनी सेकने लगा हूँ
दिल की अंगूठी में तू जड़ गई रे।
रात भर मैं जगने लगा हूँ
ठंडी आहें भरने लगा हूँ
निंदिया मेरी आंखों से उड़ गई।
कुछ भी मुझको भाता नहीं है
समझ में कुछ भी आता नहीं है
तेरी चाहत में हालत बिगड़ गई रे।
बिना पिए जैसे मुझे चढ़ गई रे
छुप कर तुझको देखने लगा हूँ
आँखें अपनी सेकने लगा हूँ
दिल की अंगूठी में तू जड़ गई रे।
रात भर मैं जगने लगा हूँ
ठंडी आहें भरने लगा हूँ
निंदिया मेरी आंखों से उड़ गई।
कुछ भी मुझको भाता नहीं है
समझ में कुछ भी आता नहीं है
तेरी चाहत में हालत बिगड़ गई रे।
Monday, August 17, 2009
Today's Special....
Did you know...
... that today is Self-Starting Day? In 1915, Charles
Kettering of Detroit, Michigan, invented the electric
self-starter for automobiles. Celebrate today by starting
something new yourself.
... that today is Self-Starting Day? In 1915, Charles
Kettering of Detroit, Michigan, invented the electric
self-starter for automobiles. Celebrate today by starting
something new yourself.
Saturday, August 15, 2009
मेरी आँखों की नीदों को उड़ाके वो गए।
रिश्ता दिल से दिल का जुडाके वो गए।
सब कुछ ठीक ही चल रहा था अब तक
जाने किस बात पे मुँह फुलाके वो गए।
रूठ भी गए तो मना लेंगे उन्हें प्यार से
हाय झटक मेरी बहियाँ छुडाके वो गए।
सोचा गुजार देंगे जीवन यह साथ-साथ
झुकना तो दूर मुझको झुकाके वो गए।
कसम से तन-मन मेरा दुखाके वो गए।
रिश्ता दिल से दिल का जुडाके वो गए।
सब कुछ ठीक ही चल रहा था अब तक
जाने किस बात पे मुँह फुलाके वो गए।
रूठ भी गए तो मना लेंगे उन्हें प्यार से
हाय झटक मेरी बहियाँ छुडाके वो गए।
सोचा गुजार देंगे जीवन यह साथ-साथ
झुकना तो दूर मुझको झुकाके वो गए।
मन का दुःख अब किस से कहने जायें
कसम से तन-मन मेरा दुखाके वो गए।
Friday, August 14, 2009
दिल जल रहा मगर धुआं नहीं यारो।
दिल से बना कोई अपना नहीं यारो।
अकेला हूँ अकेला ही सही मैं फ़िर भी
जी लूँगा गर कोई महरबाँ नहीं यारो।
लुटने को लुट रहे हैं बहुत दुनिया में
पर मुझसा लुटा कोई यहाँ नहीं यारो।
सकूँ की तलाश में भटका हूँ उमर भर
जहाँ पे ढूँढा वहाँ पे मिला नहीं यारो।
आरजू थी कि कोई हमसफ़र मिलता
भटकता रहा मैं कहाँ कहाँ नहीं यारो।
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