Time Can't Change My Love For You :-)
Monday, August 16, 2010
ग़ज़ल
तुम और फरेब खाओ बयान-ए-रकीब से
तुम से तो कम गिला है जियादा नसीब से
- आगा हश्र
ग़ज़ल
मैं नजर से पी रहा हूं, ये समां बदल न जाए
न झुकाओ तुम निगाहें, कही रात ढल न जाए
- अनवर मिर्जापुरी
Friday, September 18, 2009
ऐ मेरे दिल बता इतना बेकरार क्यों होता है।
ऐ
मेरे
दिल
बता
इतना
बेकरार
क्यों
होता
है
।
जो
नहीं
आयेगा
उसका
इंतज़ार
क्यों
होता
है
।
जिसने
यूँ
ही
तड़पने
के
लिए
छोड़
दिया
मुझे
ऐसे
दिलवर
पर
तुझको
ऐतबार
क्यों
होता
है
।
वफ़ा
शब्द
का
जिनको
मायने
तक
पता
नहीं
जाने
वफादारों
में
उनका
शुमार
क्यों
होता
है
।
मैंने
तो
दिलो
जान
से
उनसे
वफ़ा
निभाई
थी
मुझ
सा
वफादार
फ़िर
नागवार
क्यों
होता
है
।
प्रेम जी के ब्लॉग से साभार !
Thursday, September 10, 2009
देने के बाद क्या मिलता है इस संसार में
देने के बाद क्या मिलता है इस संसार में
हम तो लुट ही चुके हैं इस आसार में !
होश आया
भी
तो
कब आया , जब
मेरा सब कुछ बिक गया बाज़ार में !
छीना (छीनना पड़ा) जब हमने हक़ अपना,दुसरो का भी
बज उठी तालियाँ और नारे लगे
जय-जयकार में !
आगे , बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे थे हम , और
दुनिया भी भूल रही थी सब कुछ उसी रफ्तार में !
यूँ ही आगे , आगे ही बढे चले जा रहे थे हम
कि, रुक गए ,रोक लिया ! किसी की दर्द भरी पुकार ने !
और जब फिर से एहसास करने लगे दुसरों
का दर्द
तो भटकने लगे बनके भिखारी उसी बाज़ार में !!
--------------------------------------------------"सर्वेश"
Saturday, September 5, 2009
जिन्दगी !!
साथ भी छोडा तो कब जब सारे दुःख कट गए थे,
जिन्दगी तुने कहाँ आकर दिया धोखा मुझे !
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