Thursday, August 27, 2009

यूँ ही नहीं हमें आजमाया करो

दोस्तों , आज पहली बार मैं हिम्मत जुटा कर अपनी लिखी हुई एक ग़ज़ल आप लोगों के सामने पेश करने की हिमाकत कर रहा हूँ.... इस उम्मीद के साथ की शायद आपको पसंद आये....


यूँ ही नहीं हमें आजमाया करो
पल-पल न यूँ हमें सताया करो

तेरे कहने से पहले दे दूँ मैं जान अपनी
पर यूँ रूठने का भय न दिखाया करो

है यकीं की तुम सा कोई नहीं यहाँ

पर बात-बात पर यूँ न इतराया करो


फ़िक्र करते हैं तुम्हारी बहुत हम

पर गैरों से बतिया के न जलाया करो


दीदार को तरसते रहती है ये आँखे हमारी

कभी छुप-छुपा के सपने में आ जाया करो


Posted By : Sarwesh

4 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर गजल .लिखते रहे.

    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

    ReplyDelete
  2. aapne himmat kee....aur sach maaniye aapko gazal kee thodi si hi sahi...magar tameez aa gayi....ab jab yah aa gayi....to saari gazal bhi aa jayegi...

    ReplyDelete
  3. Bahut Barhia... IBlog ki dunia me aapka swagat hai...si Tarah Likhte rahiye.

    http://hellomithilaa.blogspot.com
    Mithilak Gap Maithili Me

    http://mastgaane.blogspot.com
    Manpasand Gaane

    http://muskuraahat.blogspot.com
    Aapke Bheje Photo

    ReplyDelete
  4. उत्साह-वर्धन के लिए शुक्रिया !!

    ReplyDelete