दोस्तों , आज पहली बार मैं हिम्मत जुटा कर अपनी लिखी हुई एक ग़ज़ल आप लोगों के सामने पेश करने की हिमाकत कर रहा हूँ.... इस उम्मीद के साथ की शायद आपको पसंद आये....
यूँ ही नहीं हमें आजमाया करो
पल-पल न यूँ हमें सताया करो
तेरे कहने से पहले दे दूँ मैं जान अपनी
पर यूँ रूठने का भय न दिखाया करो
है यकीं की तुम सा कोई नहीं यहाँ
पर बात-बात पर यूँ न इतराया करो
फ़िक्र करते हैं तुम्हारी बहुत हम
पर गैरों से बतिया के न जलाया करो
दीदार को तरसते रहती है ये आँखे हमारी
कभी छुप-छुपा के सपने में आ जाया करो
Posted By : Sarwesh
बहुत ही सुन्दर गजल .लिखते रहे.
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.
गुलमोहर का फूल
aapne himmat kee....aur sach maaniye aapko gazal kee thodi si hi sahi...magar tameez aa gayi....ab jab yah aa gayi....to saari gazal bhi aa jayegi...
ReplyDeleteBahut Barhia... IBlog ki dunia me aapka swagat hai...si Tarah Likhte rahiye.
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Mithilak Gap Maithili Me
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Manpasand Gaane
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Aapke Bheje Photo
उत्साह-वर्धन के लिए शुक्रिया !!
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